ثم يستطرد متحدثا عن تلك الليلة الأولى التي يقضيها الميت في قبره، وسؤال منكر ونكير، فيقول:
ⵉⴹ ⵏ ⵍⵍⵃⴷ ⴰⵎⵉ ⵉⵎⵢⴰⴳⴰⵔ ⵡⴰⴳⴳⵯⴰ ⵏⵓ,
ⴰ ⵕⴱⴱⵉ, ⵓⵔ ⴰⵙ ⵏⴳⵉ ⵛⴰ ⵍⵃⵙⴰⴱ ⵉ ⵍⵎⵓⵜ ⵉⵏⵓ
ⴰⴷⴷⴰⵢ ⵉⵢⵉ ⴷ ⵎⵔⴰⵔⴰⵏ ⵉⴳⵓⴷⴰⵔ, ⵉⵄⴰⵢⴷ ⴰⴼⵍⵍⴰ ⵏⵓ ⵍⵍⵃⴷ ⴰⵔ ⵉⴷ ⵜⵙⵙⴰⴳⴰ ⵍⵎⵓⵜ ⵉⵅⴼ
ⴷⵉⵙ ⴰ ⵓⵔ ⵉ ⵉⵄⴷⵉⵍ ⵏⵏⵛⵕ, ⴰⴷⴷⴰⵢ ⵏⵎⵙⴰⵍ
ⵎⴰⵏⵉ ⴰⵇⵇⵎⵓ ⵙ ⵖⵔⴰ ⵊⴰⵡⴱⵅ ⵉ ⴱⵓⵙⵙⵡⴰⵍ ⵉⵏⵓ
ⴰⴷⴷⴰⵢ ⵙⵉⵔⵙ ⴷⴰⵜ ⵉ ⵍⵛⵜⴰⴱ ⵍⴼⵄⵍ ⵉⵏⵓ
ⴰⵢⵏⵏⴰ ⵏⴳⴰ ⵓⵔ ⵜ ⵉⵏⴰⵇⵇⵙ ⴷⵉⴳⵉ ⵓⵔ ⵉⵛⴰⵢⴹ
ⴰ ⵢⴰⵢ ⴷⴰ ⵉⵜⵜⵉⵏⵉⵏ ⵍⴰ ⵜⴷⴰⵎⴷ, ⴰ ⵢⴰ ⵍⵎⴰⵍ ⵏⵏⵙ
ⵉⴳⴰ ⵍⵖⵕⵕ, ⴰⴷ ⴰⵎ ⵉⴳ ⴰ ⴷⴷⵓⵢⵜ ⴰⵎⵓⵜⵜⵍ.
iḍ n llḥd ami imyagar waggʷa nu,
a ṛbbi, ur as ngi ca lḥsab i lmut inu
adday iyi d mraran igudar, iɛayd aflla nu
llḥd ar id tssaga lmut ixf
dis a ur i iɛdil nncṛ, adday nmsal
mani aqqmu s ɣra jawbx i busswal inu
adday sirs dat i lctab lfɛl inu
aynna nga ur t inaqqs digi ur icayḍ
a yay da ittinin la tdamd, a ya lmal nns
iga lɣṛṛ, ad am ig a dduyt amuttl.
وترجمة هذا بالعربية:
في ليلة القبر يختل حملي،
يا ربي، لم أستعد لهذا البلاء
عندما تزاحم جدران القبر جسدي
والثري يرد علي في مدفني
يبدأ تفكيري فيما اقترفت.
هنا لن أستطيع الانكار عند سؤالي
فلا أملك الفم الذي به أجيب سائلاي
لما توضع صحيفة أعمالي أمامي
فيها ما عملت، ليس فيها زيادة ولا نقصان
يا من يظن أن الحياة دائمة ونعيمها
تبا لك، لست يا دنيا سوى سراب.
وعند حديثه عن الدنيا واعتبارها زائلة ودار عبور لا دار قرار حيث غادرها الأنبياء والرسل، فيقول الشاعر محمد أوعاشور:
ⵎⵓⵔ ⴷⴰ ⵉⵜⵜⴷⴰⵎ ⵓⴳⵊⵊⵉⴳ ⵏⵏⵎ ⵓⵔ ⵉⵜⵜⵖⴰⵔ
ⵉⵇⵇⵉⵎ ⵙⵢⴷⵏⴰ ⵎⵓⵃⵎⵎⴷ ⴰⴷ ⵓⵔ ⵜ ⵎⵎⵜⴰⵜⵏ
ⴰⵍⵍⵉⴳ ⵖⵓⵔⵙ ⴷ ⵉⵜⵜⴰⴷⵔ ⵡⴰⴷⴷⴰ ⵉⵜⵜⵅⵍⴰⵇⵏ
ⵉⵏⵄⵜ ⴰⵙ ⴷ ⵛⵛⵀⵡⴰⵜ, ⵓⵔ ⵜⵙⴰⴳⴰ ⵉⵏⵖⵎⵉⵙⵏ
ⵉⵏⵏⴰⵙ: ⵀⴰⵏ ⴰⵙⵉⴼ ⴰⴷ ⵏⵏⴰ ⴷ ⵉⵎⵙⴰⵙⴰ ⵙ ⵜⴰⵎⵎⵏⵜ
ⴰⵀⴰ ⵜⵙⵙⵓⴷ ⴷⴷⵀⴱ ⴰⴷⴷⴰⵢ ⵜⵇⵇⵉⵎⴷ
ⵉⵏⵏⴰⵙ: ⵜⴰⵏⴳⴳⴰⵔⵓⵜ ⵍⵍⵉⴳ ⵉ ⵜⵖⵕⵕⴰⴷ
ⵉⴷ ⴰ ⵜⵜ ⴷⴰⵎ ⴷⴷⵓⵏⵉⵜ, ⵉⴷ ⴰⴷ ⵉ ⵜⵛ ⵟⵟⴰⵎⵏ !
mur da ittdam ugjjig nnm ur ittɣar
iqqim sydna muḥmmd ad ur t mmtatn
allig ɣurs d ittadr wadda ittxlaqn
inɛt as d cchwat, ur tsaga inɣmisn
innas: han asif ad nna d imsasa s tammnt
aha tssud ddhb adday tqqimd
innas: tanggarut llig i tɣṛṛad
id a tt dam ddunit, id ad i tc ṭṭamn !
ومعناه:
لو كان زهرك يدوم خضرة ولا ييبس
لبقي سيدنا محمدا خالدا، لا يموت أبدا
ولما أنزلها الله الخالق
وأراه شهواتها العديدة، بلا أخبار
قال له: فيها أنهار من عسل مستوية
وافترش الذهب إن أردت الجلوس
لكنه، في الأخير قال له: إنها زائلة لا محالة
فلا تغررنك الدنيا، فلا ضامن لخلودها.